सूरत। हीरा कारोबारीसावजी ढोलकिया जो की अपने कर्मचारियों को बोनस में फ्लैट दिया करते है वो सिर्फ अपने कर्मचारियों के प्रति ही इतने दिलेर नहीं हैं, बल्कि उन्हें अपने पैतृक गांव के प्रति भी बहुत लगाव रहा है और वो अपने गांव के लिए भी बहुत कुछ करना चाहते है। पैतृक गांव दुधाला में लोग पानी के लिए तरसते थे क्यूकि वहां बहुत सूखा रहता था जिसके कारण लोगो को बहुत परेशानिओं का सामना करना पड़ता था पर आज वह ऐसा नहीं है वही ढोलकिया जी का लक्ष्य गांव में 70 तालाब बनवाने का है जिसमे की उन्होंने 45 तालाब बनवा दिए है और 25 तालाब शेष रहे गए है ।
दरअसल, सावजी अपने गांव के लोगों के लिए यह जो कुछ कर रहे हैं, उसकी प्रेरणा उनकी मां रही हैं। जी हां, कहते हैं कि महिलाओं को हीरा बेहद पसंद होता है। पर, सावजी ढोलकिया की मां कभी इस चमकदार पत्थर को नहीं चाहती थीं। वह चाहती थीं तो बस थोड़ी सी बारिश ताकि उनके गांव में लोग पानी के लिए ना तरसें। बचपन में सावजी यह देखते हुए ही बड़े हुए कि उनकी मां कैसे बादलों से, भगवान से थोड़ी सी बारिश की दुआ करती हैं।
आज 6000 करोड़ की संपत्ति के है मालिक
आज 6000 करोड़ की संपत्ति के मालिक हीरा कारोबारी सावजी को कभी इस सूखे की दंश के कारण ही बचपन में ही पढ़ाई छोड़कर आजीविका के लिए गांव से दूर सूरत जाना पड़ा था। यह टीस हमेशा ही उनके दिल में रही। यही वजह है कि जब सावजी ने अपना साम्राज्य खड़ा करना शुरू किया तभी उन्होंने यह सोच लिया था कि अपने गांव की सूरत भी वह एक दिन जरूर बदल देंगे।
जल संचयन ट्रस्ट को दिए 33 लाख रूपये
सावजी कहते हैं, ‘यह अपने पैतृक गांव को लौटाने का समय है। मेरी मां मेरी प्रेरणा रही हैं और मैं उनके सपनों को ही पूरा कर रहा हूं।’ सावजी बताते हैं, मैंने 15 साल पहले सौराष्ट्र में वर्षा जल संचयन के लिए एक निजी ट्रस्ट को 33 लाख रुपये का दान दिया था। पर, बाद में मुझे लगा कि यह पर्याप्त नहीं है। इससे बेहतर होगा कि मैं गांवों में तालाब खुदवा दूं। इसके बाद मैंने अपने गांव से इसकी शुरुआत की और 1 ।5 करोड़ रुपये में शुरुआत में 5 तालाब बनवाए। इसका फायदा तुरंत दिखने लगा। गांव के लोगों की दिक्कतें दूर होने लगीं। हालांकि यह शुरुआत थी लेकिन इसका असर दिखना शुरू हो गया।
2500 से अधिक लोग कर रहे है मदद
अपने गांव के साथ सावजी ढोलकिया फाउंडेशन के तहत आसपास के अन्य गांवों को भी पानी की किल्लत से दूर करने में जुटे हैं। इसके लिए फाउंडेशन की तरफ से ग्रामीणों को 25 लाख रुपये दिए जाते हैं। ढोलकिया को इस बात की खुशी है कि उनके इस मिशन में गांव के लोग भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सावजी बताते हैं, ‘गांवों में जो भी 45 तालाब बने हैं, उसे बनाने के लिए 2500 से अधिक लोग हमारे साथ जुटे।’
उधर, गांव वाले भी सावजी के इस कदम की प्रशंसा करते नहीं थकते। एक ग्रामीण भरत कहते हैं, तालाबों के होने के कारण अब पानी के लिए रोजाना का संघर्ष खत्म हो गया है। अब गांव में ही आसानी से पानी उपलब्ध है। यही नहीं पीने के अलावा खेती में भी इससे काफी सहयोग हो रहा है। अब मॉनसून पर निर्भरता काफी हद तक कम हुई है।